Shani Chalisa शनी चालीसा – Shani Chalisa PDF के 5 फायदे

जो भक्त Shani Chalisa का पाठ करते है उनके सारे  कष्ट दूर हो जाते है ! शनि देव की पूजा करने से आपके सारे बिगडे काम सफल हो जाते है , इन्हें कर्म और न्याय का देवता भी कहा जाता है !

आपको  यदि व्यापर में या आपके जीवन में किसी भी प्रकार की परेशानियां आ रही है तो आपको Shani Chalisa का जाप करना चाहिए ! शनि की दशा किसी भी भक्त को हो तो ये सबसे बुरा पल होता है ! शनि चालीसा का 40 शनिवार करने से आपके सारे दुःख दूर हो जाते है और आप शनि की  दशा से मुक्त  रहते है !

इस लेख में जानेंगे  की Shani Chalisa का पाठ  कब और कैसे करना चाहिए और आप Shani Chalisa PDF  को भी यहाँ  से डाउनलोड कर सकते है !

Shani Chalisa Lyrics with Meaning In Hindi 

!! दोहा !!

 

जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल करण कृपाल ।

दीनन के दुख दूर करि, कीजै नाथ निहाल ॥

जय जय श्री शनिदेव प्रभु, सुनहु विनय महाराज ।

करहु कृपा हे रवि तनय, राखहु जन की लाज ॥

अर्थ : गिरिजा पुत्र भगबान गणेश जी की जय हो, आप सभी भक्तो के मंगल करने वाले है ! आप दीन दुखियों के दुःख दूर करते है और अपने भक्तो का मंगल करते है !

जय हो शनि देव की आप भक्तो की अरज सुनकर उनपर कृपा करें और अपने भक्तो की लाज की रक्षा करें !

!! चौपाई !!

 

जयति जयति शनिदेव दयाला ! करत सदा भक्तन प्रतिपाला !!

चारि भुजा, तनु श्याम विराजै ! माथे रतन मुकुट छबि छाजै ॥

अर्थ : हे शनि देव आपकी सदा ही जय हो , आप अपने भक्तो का सदैव पालन करते है ! हे शनि देव आपकी चार भुजाएं है और श्याम लता आपके शारीर पे शोभा दे रही है ! और आपके माथे पर रत्न से सजा मुकुट विराजमान है !

परम विशाल मनोहर भाला । टेढ़ी दृष्टि भृकुटि विकराला ॥

कुण्डल श्रवण चमाचम चमके । हिय माल मुक्तन मणि दमके ॥

अर्थ : आपका मस्तक बहोत ही विशाल है जो की भक्तो के  मन को मोहित कर देता है ! प्रभु आपकी भौवें काफी विकराल दिखती है और आपके दोनों कानो में सुंदर कुंडल चमक रहे है ! आपके शारीर पे मोतियों की माला बहोत ही शोभनीय है !

कर में गदा त्रिशूल कुठारा । पल बिच करैं अरिहिं संहारा ॥

पिंगल, कृष्णो, छाया नन्दन । यम, कोणस्थ, रौद्र, दुखभंजन ॥

अर्थ : प्रभु आपके हाथो में गदा और त्रिशूल शोभा बढ़ा रही है जो की पल भर में असुरों का संहार कर सकते है ! आप अपने भक्तो के दुःख को विनाश करने वाले है आपके ऊपर कृष्ण की छाया है, जिस से की आप अपने भक्तो का दुःख हर लेते है !

सौरी, मन्द, शनी, दश नामा । भानु पुत्र पूजहिं सब कामा ॥

जा पर प्रभु प्रसन्न ह्वैं जाहीं । रंकहुँ राव करैं क्षण माहीं ॥

अर्थ : हे शनि महाराज आपके 10 नाम है – सौरी, मंद , शनी , सुर्यपुत्र आदि ! जो आपके भक्त है जो आपके नाम का जप करते है उनका सब काम सफल हो जाता है ! जिन भक्तो पर आप प्रसन्न हो जाते है, उसे आप पलक झपकते उसे राजा बना देते है !

पर्वतहू तृण होई निहारत । तृणहू को पर्वत करि डारत ॥

राज मिलत बन रामहिं दीन्हयो । कैकेइहुँ की मति हरि लीन्हयो ॥

अर्थ : हे शनि देव आपकी दृष्टी जिस पे पर जाती है वो चाहे पर्वत जैसा विशाल हो फिर भी वो तिनके जैसा बन जाता है ! आप यदि चाह ले तो तिनका भी पर्वत बन जाता है ! प्रभु श्री राम जब राजा बनने वाले थे, उस समय आपने कैकयी का मति को भ्रष्ट कर प्रभु श्री राम जी को वन में भेज दिया !

बनहूँ में मृग कपट दिखाई । मातु जानकी गई चुराई ॥

लखनहिं शक्ति विकल करिडारा । मचिगा दल में हाहाकारा ॥

अर्थ : हे शनि देव आपने ही वन में सोने की हिरन को माँ जानकी को दिखाया जिस से की माँ सीता जी का हरण हुआ ! और जब शक्ति वाण का प्रहार लक्षमन  जी पे हुआ तब अपने लक्ष्मण जी को मूर्छित कर दिया ! उस के बाद प्रभु श्री राम जी की सेना में दुःख की लहर दौर गयी !  

रावण की गति-मति बौराई । रामचन्द्र सों बैर बढ़ाई ॥

दियो कीट करि कंचन लंका । बजि बजरंग बीर की डंका ॥

अर्थ : हे शनि देव आपने रावण जैसे महाज्ञानी की बुद्धि को भ्रष्ट कर दिया , इस कारण रावण ने प्रभु श्री राम जी से युद्ध किया ! इसके बाद आपने  ने सोने की लंका को मिट्टी में मिला दिया और वीर हनुमान जी के यश को और बढ़ा दिया !

नृप विक्रम पर तुहि पगु धारा । चित्र मयूर निगलि गै हारा ॥

हार नौलखा लाग्यो चोरी । हाथ पैर डरवायो तोरी ॥

अर्थ : जब आप ने राजा विक्रमादित्य पे हावी हो गये फिर दिवार पे मोर की तंगी तस्वीर ने रानी का नौलक्खा हार को निगल लिया ! उस हार की चोरी में विक्रमादित्य को अपने हाथ और पैर तुरवाने पड़े थे !

भारी दशा निकृष्ट दिखायो । तेलिहिं घर कोल्हू चलवायो ॥

विनय राग दीपक महं कीन्हयों । तब प्रसन्न प्रभु ह्वै सुख दीन्हयों ॥

अर्थ : विक्रमादित्य की अपने इतनी बुरी दशा कर दी की उसे तेली के घर में रह कर कोल्हू चलाना पड़ा था ! फिर विक्रमादित्य ने अप से विनय पूर्वक राग दीपक जला कर आपसे विनती की तब आप उन पर प्रसन्न हो कर उन्हें सुख प्रदान किया !

हरिश्चन्द्र नृप नारि बिकानी । आपहुं भरे डोम घर पानी ॥

तैसे नल पर दशा सिरानी । भूंजी-मीन कूद गई पानी ॥

अर्थ : प्रभु आपकी बुरी दृष्टी जब राजा हरिशचन्द्र पे पड़ी तब उन्हें अपनी पत्नी को बेचना पड़ा, और उन्हें डोम के घर पानी भरने का काम करना पड़ा ! जब आपकी टेढ़ी दृष्टी पड़ी नल पर फिर तली हुयी मछली भी पानी में कुद गयी !

श्री शंकरहिं गह्यो जब जाई । पारवती को सती कराई ॥

तनिक विलोकत ही करि रीसा । नभ उड़ि गयो गौरिसुत सीसा ॥

अर्थ : हे शनि देव जब आपकी दृष्टी भगवान शंकर पे पर गयी फिर माँ पार्वती  को हवन कुंड में जल कर भष्म होना पड़ा ! जब आपने पार्वती पुत्र गणेश जी को क्रोध से देखा फिर उनका सर कट कर आकाश में उड़ गया !

पाण्डव पर भै दशा तुम्हारी । बची द्रौपदी होति उघारी ॥

कौरव के भी गति मति मारयो । युद्ध महाभारत करि डारयो ॥

अर्थ : जब पांचो पांडव पर शनि दशा आई फिर उनकी पत्नी द्रोपदी का वस्त्र का हरण हुआ ! आपने पांडव के विवेक का हरण किया  जिस से की वो महाभारत जैसा भयानक युद्ध कर कौरवो का संहार किया !

रवि कहँ मुख महँ धरि तत्काला । लेकर कूदि परयो पाताला ॥

शेष देव-लखि विनती लाई । रवि को मुख ते दियो छुड़ाई॥

अर्थ : हे शनि देव आपने सूर्य को अपने मुंह में डाल कर आप पाताल लोक में चले गए ! फिर सभी देवी देवताओं ने आप से विनती की फिर अपने मुख से सूर्य को बाहर निकाला !

वाहन प्रभु के सात सुजाना । जग दिग्गज गर्दभ मृग स्वाना ॥

जम्बुक सिंह आदि नख धारी । सो फल ज्योतिष कहत पुकारी ॥

अर्थ : हे शनि देव आपके पास 7 तरह के वाहन है – हाथी, घोडा, कुत्ता, गधा, हिरण, शेर और सियार ! इसलिए आपको सर्वविदित कहा जाता है ! ज्योतिष शास्त्र के अनुसार आपके सभी वाहनों के अलग – अलग फल बताये गए है जिस से आप अपने भक्तो के दुश्मनों  की मति फेर देते है !  

गज वाहन लक्ष्मी गृह आवैं । हय ते सुख सम्पति उपजावैं ॥

गर्दभ हानि करै बहु काजा । सिंह सिद्धकर राज समाजा ॥

अर्थ: ऐसा माना  जाता है की हाथी यदि वाहन हो तो घर में लक्षी जी का आगमन होता है, वही घोडा वाहन हो तो घर में सुख समृद्धि आती है ! यदि गधा वाहन हो तो घर में हानि होती है और सारे काम आपके बिगड जाते है ! सिंह की सवारी हो तो आपको सारे समाज में यश की वृद्धि होती है ! 

जम्बुक बुद्धि नष्ट कर डारै । मृग दे कष्ट प्राण संहारै ॥

जब आवहिं प्रभु स्वान सवारी । चोरी आदि होय डर भारी ॥

अर्थ : ऐसा माना जाता है की यदि सियार वाहन हो तो बुद्धि और विवेक नष्ट हो जाता है , वही हिरण यदि वाहन के रूप में हो तो आप दुःख देकर प्राणों का संहार कर देते है ! जब आप कुत्ते का वाहन कर आते है तब घरो में चोरियां होती है , और भय सब से ज्यादा उत्पन्न हो जाता है !

तैसहि चारि चरण यह नामा । स्वर्ण लौह चाँदी अरु तामा ॥

लौह चरण पर जब प्रभु आवैं । धन जन सम्पत्ति नष्ट करावैं ॥

अर्थ : यदि कोई छोटे बच्चे का पैर उसे दिखाई देता है, ये पैर सोने, चांदी, ताम्बा या लोहे का हो सकता है ! जब शनि महाराज आप लोहे के पैर में आते है तब धन और सम्प्पति आप नष्ट कर उसका विनाश कर देते है !

समता ताम्र रजत शुभकारी । स्वर्ण सर्व सर्व सुख मंगल भारी ॥

जो यह शनि चरित्र नित गावै । कबहुं न दशा निकृष्ट सतावै॥

अर्थ : आप प्रभु जब चांदी या ताम्बे के पैरों से आते है तो ये बहोत ही मंगलमय माना जाता है ! वही आप जब सोने के पैरो से आगमन करते है फिर आप अपने भक्तो का मंगल करते है ! जो भी भक्त शनि महाराज की नित्य पाठ करता है उसके आप सारे भय को नष्ट कर देते है ! उसे कभी भी बुरी शनि दशा नही आती वो हमेशा परमसुख को प्राप्त होता है !

अद्भुत नाथ दिखावैं लीला । करैं शत्रु के नशि बलि ढीला ॥

जो पण्डित सुयोग्य बुलवाई । विधिवत शनि ग्रह शांति कराई ॥ 

अर्थ : हे शनि देव आप अन्तर्यामी है प्रभु आपकी लीला देख कर शत्रुओं का बल नष्ट हो जाता है ! जो भी भक्त पंडित को बुला कर विधि – विधान से शनि चालीसा की पाठ करवाते है उनकी शनि दशा शांत हो जाती है !

पीपल जल शनि दिवस चढ़ावत । दीप दान दै बहु सुख पावत ॥

कहत राम सुन्दर प्रभु दासा । शनि सुमिरत सुख होत प्रकाशा ॥

अर्थ : जो भक्त शनिवार के दिन पीपल के पेड़ पे जल चढ़ाता है और दिया जलाते है उनके दुःख दूर हो जाते है वो सारे सुख को भोगते है ! प्रभु के सेवक राम सुंदर जी कहते है की जो भी शनि महाराज जी की पूजा विधि विधान से करते है उनके सारे दुःख दूर हो जाते है !

!! दोहा !!

पाठ शनिश्चर देव को, की हों ‘भक्त’ तैयार । करत पाठ चालीस दिन, हो भवसागर पार ॥

अर्थ : जो भक्त इस शनि देव के पाठ को 40 दिन तक करता है, उनपे प्रभु शनि महाराज की कृपा सदैव  बनी रहती है ! वो सारे दुखों से दूर हो जाते है और वो भवसागर को पार कर परमधाम को प्राप्त होते है !