Shiv chalisa का पाठ १०८ बार करने से भगवान शिव प्रसन्न हो जाते है और मनोवांछित फल मिलता है ! Shiv Chalisa प्रारंभ करने से पहले ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप जरुर करें !
इस लेख में हम जानेंगे की shiv chalisa का पाठ करने के क्या फायदे है और Shiv Chalisa कब और कैसे पढना चाहिए ? शिव चालीसा हिंदी में अर्थ के साथ जिससे आप सरल भाषा में भगवान शिव की पूजा – अर्चना कर सकें !
Shiv Chalisa Lyrics in Hindi
॥ दोहा ॥
जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान॥
अर्थ : सभी भक्तों का मंगल करने वाले ,गिरिजा पुत्र श्री गणेश जी की जय हो ! मै अयोध्या दास आपसे अभय वरदान की कामना करता हूँ !
॥ चौपाई ॥
जय गिरिजा पति दीन दयाला ।
सदा करत सन्तन प्रतिपाला ॥
अर्थ : आप माँ पार्वती जी के स्वामी है और गरीब दुखियों पर सदैव कृपा करते है , आपकी सदा ही जय हो ! आप हमेसा साधु – संतो की रक्षा करते है !
भाल चन्द्रमा सोहत नीके ।
कानन कुण्डल नागफनी के ॥
अर्थ : हे शिव जी आपके माथे पर चंद्रमा सुशोभित है, और जो कानो में आपके कानो में नागफनी के कुंडल सुंदर दिखाई देते है !
अंग गौर शिर गंग बहाये ।
मुण्डमाल तन क्षार लगाए ॥
अर्थ : हे शिव जी आपका वर्ण गौर है और आपके जटाओं में माँ गंगा जी का वास है , आपके गले में मुंडो की माला है और सारे शरीर पे भस्म आपने लगा रखा है !
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे ।
छवि को देखि नाग मन मोहे ॥ 4
अर्थ : हे तिनोलोको के स्वामी भगवान शिव आप जो वस्त्र पहनते है वो बाघों के खाल से बना है , आपकी सुंदर सी काया देख कर नाग भी मोहित हो जाते है !
मैना मातु की हवे दुलारी ।
बाम अंग सोहत छवि न्यारी ॥
अर्थ : मैना माता की पुत्री पार्वती जी आपको सब से प्रिय है जो की आपके बायीं ओर बैठी है ! माँ पार्वती जी की शोभा बहोत है निराली दिख रही है !
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी ।
करत सदा शत्रुन क्षयकारी ॥
अर्थ : हे शिव जी आपके हाथ में जो त्रिशूल है वो आपकी शोभा को और बढा रही है जिस से आप हमेशा से शत्रुओ का विनाश और संहार करते है !
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे ।
सागर मध्य कमल हैं जैसे ॥
अर्थ : आपका सबसे प्रिय वाहन नंदी और आपके पुत्र श्री गणेश जी आपके बगल में इस प्रकार शोभामान है, जैसे की सागर में कमल खिले है !
कार्तिक श्याम और गणराऊ ।
या छवि को कहि जात न काऊ ॥ 8
अर्थ : आपके प्रिय कर्तिकिये जी आपके पास विराजमान है इस छवि का कोई भी वर्णन नही कर सकता, इतनी अलौकिक दृश्य है !
देवन जबहीं जाय पुकारा ।
तब ही दुख प्रभु आप निवारा ॥
अर्थ : हे शिव जी जब भी आपको देवता ने सहायता के लिए पुकारा है, आपने बिना बिलम्ब किये उनके सारे कष्ट दूर किये है !
किया उपद्रव तारक भारी ।
देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी ॥
अर्थ : ताड़का सुर ने जब भी देवताओ पर अत्याचार करना सुरु किया तब सभी देवी – देवताओ ने रक्षा करने की गुहार लगायी !
तुरत षडानन आप पठायउ ।
लवनिमेष महँ मारि गिरायउ ॥
अर्थ : आपने तुरंत पार्वती पुत्र श्री कार्तिक जी को देवी देवताओ की रक्षा करने के लिए भेजा और कार्तिक जी ने सारे राक्षसों का संहार किया !
आप जलंधर असुर संहारा ।
सुयश तुम्हार विदित संसारा ॥ 12
अर्थ : हे शिव जी आपने जालंधर राक्षस का वध किया जिस से सारे संसार में आपका यश फ़ैल गया !
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई ।
सबहिं कृपा कर लीन बचाई ॥
अर्थ : आपने असुर त्रिपुरासुर से युद्ध कर देवी – देवताओ को बचाया और उसके आतंक से सभी देवताओ को मुक्त कराया !
किया तपहिं भागीरथ भारी ।
पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी ॥
अर्थ : जब राजा भागीरथ ने काफी ताप किया फिर तब आपने माँ गंगा को अपनी जटाओ से जाने की अनुमति दी ! भागीरथ ने प्रतिज्ञा की उसे आपने पूर्ण करने में उसकी मदद की !
दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं ।
सेवक स्तुति करत सदाहीं ॥
अर्थ : हे शिव के समान कोई दानी नही है , जो भी भक्त है वो सदैव आपका इसलिए गुणगान करते है !
वेद नाम महिमा तव गाई।
अकथ अनादि भेद नहिं पाई ॥ 16
अर्थ : हे शिव जी आपके महिमा का गुणगान चारो वेदों में किया गया है , आप अनादी है इसलिए आपके रहश्य को कोई भी नही समझ सका !
प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला ।
जरत सुरासुर भए विहाला ॥
अर्थ : जो भी विषरूपी ज्वाला समुन्द्र मंथन से निकली उस से सारे राक्षस और देवी देवता जलने लगे थे !
कीन्ही दया तहं करी सहाई ।
नीलकण्ठ तब नाम कहाई ॥
अर्थ : हे शिव अपने विष का पान कर के सारे देवी देवताओ की सहायता की जिस से आपका कंठ नीला पड गया जिस कारण आपका नाम नीलकंठ पड़ा !
पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा ।
जीत के लंक विभीषण दीन्हा ॥
अर्थ : प्रभु श्री राम ने लंका पर चढ़ाई करने से पहले आपकी पूजा की जिस से उन्होंने लंका पर विजय प्राप्त किया ! और लंका पर जित के बाद प्रभु श्री राम ने विभीषण को लंका का राजा बना दिया !
सहस कमल में हो रहे धारी ।
कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी ॥ 20
अर्थ: आपकी जब प्रभु श्री राम जी ने सहस्त्र कमलों के पुष्प से पूजा की थी तब आपने कमल में आ कर उनकी परीक्षा ली थी तभी उनके कार्य सफल हुए थे !
एक कमल प्रभु राखेउ जोई ।
कमल नयन पूजन चहं सोई ॥
अर्थ : आपने माया ऐसा रचा की १ कमल का फुल छुप गया फिर प्रभु श्री राम चन्द्र जी ने नयनरूपी कमल से पूजा अर्चना करने की बात सोची !
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर ।
भए प्रसन्न दिए इच्छित वर ॥
अर्थ : प्रभु श्री राम जी की दृढ आस्था देख कर प्रसन्न हो कर उन्हें मनोवांछित वरदान दिया जिस से की उनका विजय रथ आगे बढा !
जय जय जय अनन्त अविनाशी ।
करत कृपा सब के घटवासी ॥
अर्थ : हे निलकंठ आप अन्नत है आपकी सदा ही जय हो , आप सदैव अपने भक्तो के हृदय में वास कर उसकी रक्षा करते है !
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै ।
भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै ॥ 24
अर्थ : जिसके मन में दुष्ट विचार आते है और वो उस से ब्रह्मित रहता है , जिस कारण उसे कही भी चैन नही मिलता है !
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो ।
येहि अवसर मोहि आन उबारो ॥
अर्थ : हे शिव जी , आप मेरी रक्षा करो जो भक्त आपको दिल से पुकारता है ! उसके संकट और कष्टों को आप पल में दूर करता है !
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो ।
संकट से मोहि आन उबारो ॥
अर्थ : हे नीलकंठ आप अपने भक्तो को शत्रुओ से त्रिशूल से मार कर, भवसागर को पार लगाते है !
मात-पिता भ्राता सब होई ।
संकट में पूछत नहिं कोई ॥
अर्थ : आप प्रभु माता – पिता और भाई – बहन सब आप ही हो , संकट आने पर कोई साथ नही देता है सभी के दुखों के साथी आप ही हो !
स्वामी एक है आस तुम्हारी ।
आय हरहु मम संकट भारी ॥ 28
अर्थ : प्रभु आप हमारे स्वामी है आप ही हमारे सबकुछ हो आप ही सारे संकट को दूर करें !
धन निर्धन को देत सदा हीं ।
जो कोई जांचे सो फल पाहीं ॥
अर्थ : आप सदैव जो गरीब रहते है उन्हें धन से उनकी मदद करते है , आपसे जो भी कुछ मांगता है उसे मनोवंछित्त फल देते है !
अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी ।
क्षमहु नाथ अब चूक हमारी ॥
अर्थ : हम आपके भक्त है प्रभु हमें सही से पूजा अर्चना भी करना नही आता है , प्रभु हम से जाने – अनजाने में जो भूल चुक हुयी हो उसे आप माफ़ कर दे !
शंकर हो संकट के नाशन ।
मंगल कारण विघ्न विनाशन ॥
अर्थ : हे शिव आप सरे संकट को दूर करने वाले है , आपके कृपा से ही सारे शुभ कार्य होते है ! आप सारे विघ्न बाधाओं को दूर कर सबका कल्याण करे !
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं ।
शारद नारद शीश नवावैं ॥ 32
अर्थ : जो भी योगी मुनि है सब आपकी पूजा करते है , देवी सरस्वती और नारद जी भी आपके सामने अपना शीश झुकाते है !
नमो नमो जय नमः शिवाय ।
सुर ब्रह्मादिक पार न पाय ॥
अर्थ : ॐ नमह शिवाय का जाप कर के ब्रम्हा जी और देवी -देवता आपकी महिमा का पार नही पा सके !
जो यह पाठ करे मन लाई ।
ता पर होत है शम्भु सहाई ॥
अर्थ : जो भी भक्त सच्ची श्रधा से आपका शिव चालीसा का पाठ करता है उसकी भगवान शंकर साडी इक्षाओ को पूर्ण करते है !
ॠनियां जो कोई हो अधिकारी ।
पाठ करे सो पावन हारी ॥
अर्थ : हे शिव जो भी भक्त कर्ज के बोझ से दबा है वो भी आपका पाठ करता है उसके सारे कर्ज ख़त्म हो जाते है !
पुत्र हीन कर इच्छा जोई ।
निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई ॥ 36
अर्थ : जो भक्त जिसे पुत्र प्राप्ति की अभिलाषा होती है , प्रभु आपकी असीम कृपा से उसे पुत्र रत्न की प्राप्ति जरुर होती है !
पण्डित त्रयोदशी को लावे ।
ध्यान पूर्वक होम करावे ॥
अर्थ : सभी भक्तों को त्रयोदशी के दिन पंडित को बुला कर विधि – विधान से ध्यन पूर्वक आपका पूजन करवाना चाहिए !
त्रयोदशी व्रत करै हमेशा ।
ताके तन नहीं रहै कलेशा ॥
अर्थ : जो भी त्रयोदशी के दिन आपका व्रत रखता है उस भक्त को किसी भी प्रकार का कोई भी दुःख और क्लेश नही होता है !
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे ।
शंकर सम्मुख पाठ सुनावे ॥
अर्थ : जब भी पूजा करें भगवान शिव जी की मूर्ती को रखें और धुप – दीप जलाये और शिव चालीसा का पाठ करें !
जन्म जन्म के पाप नसावे ।
अन्त धाम शिवपुर में पावे ॥ 40
अर्थ – शिव चालीसा का पाठ करने से पूर्व जन्म का भी पाप नष्ट हो जाते है और अंत काल में शिवलोक में स्थान मिल जाता है !
कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी ।
जानि सकल दुःख हरहु हमारी ॥
अर्थ : अयोध्यादास जी कहते है प्रभु अब आपकी ही आशा है बिगरे काम को आप ही बना सकते है ! हे भगवान शंकर आप सारे कष्टों को दूर कर मेरी मनोकामना को पूर्ण करें !
॥ दोहा ॥
नित्त नेम कर प्रातः ही,
पाठ करौं चालीसा ।
तुम मेरी मनोकामना,
पूर्ण करो जगदीश ॥
मगसर छठि हेमन्त ॠतु,
संवत चौसठ जान ।
अस्तुति चालीसा शिवहि,
पूर्ण कीन कल्याण ॥
अर्थ : जो भी भक्त शिव चालीसा का पाठ दिन में चालीस बार करता है उस के सारे मनोकामना पूर्ण हो जाते है !
Shiv chalisa का पाठ करना बहोत ही शुखदाई है शिव चालिसा का पाठ करने से सारे दुःख दूर हो जाते है और सुख संपत्ति की प्राप्ति होती है ! shiv chalisa का नियमित पाठ करने से शिव जी प्रसन्न हो जाते है और वो भगवान भोलेनाथ का प्रिय बन जाता है !
- Shiv Chalisa कब पढ़नी चाहिए ?
शिव चालीसा का पाठ करने का सही समय है “सुबह का समय ” क्योंकि ब्रह्म मुहूर्त का समय भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए सबसे अच्चा मन जाता है ! - शिव चालीसा पढने का सही तरीका क्या है ?
Shiv Chalisa पढने से पहले आप नाहा धो कर नित्य्क्रियाओ से निवृत होने के बाद प्रभु भोलेनाथ के मूर्ति के आगे आशन लगा कर बैठ जाये और पूजन सामग्री में बेलपत्र , चन्दन ,भंग कलि मिर्च
और धुप दीप जरुर जलाये ! और ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करना शुरू करें ! भगवान शिव का नाम ले कर फुल को चढ़ाएं ! पूरी श्रधा के साथ पूजा करने पर भगवान शिव की क्क्रिपा आप पे जरुर होगी !
2 thoughts on “Shiv Chalisa शिव चालीसा – Shiv Chalisa Lyrics Hindi PDF”